AVAS क्या है और ये कैसे करता है काम, जिसे भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक कार, बस और ट्रक में किया अनिवार्य?

Sachin Singh
Written by: Sachin Singh

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Electric Vehicle AVAS mandate India 2025: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें अक्टूबर 2027 से सभी इलेक्ट्रिक कारों, बसों और ट्रकों को Acoustic Vehicle Alerting Systems (AVAS) से लैस करना अनिवार्य किया गया है. इस कदम का मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों की चुपचाप चलने वाली प्रकृति से उत्पन्न होने वाले सड़क सुरक्षा संबंधी खतरों को कम करना है.

मंत्रालय के मसौदे के अनुसार, अक्टूबर 2026 से सभी नए निर्मित इलेक्ट्रिक पैसेंजर और कमर्शियल वाहनों में AVAS तकनीक स्थापित होना अनिवार्य होगी. इसके साथ ही, अक्टूबर 2027 से बन रहे सभी मौजूदा मॉडल्स में भी यह सुरक्षा तकनीक लगाना जरूरी होगा.

MoRTH नोटिफिकेशन में कहा गया, ‘1 अक्टूबर 2026 से नए मॉडलों और 1 अक्टूबर 2027 से मौजूदा मॉडलों के लिए, M और N श्रेणी के इलेक्ट्रिक वाहन AVAS से लैस होंगे, जो AIS-173 में निर्धारित श्रव्य मानकों के अनुरूप होंगे.’ M श्रेणी के वाहन यात्रियों के लिए और N श्रेणी के वाहन माल परिवहन के लिए होते हैं.

AVAS क्या है?

AVAS का पूरा नाम Acoustic Vehicle Alerting System है. यह इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए एक सुरक्षा फीचर है. इसका मुख्य उद्देश्य वाहन के पास होने की जानकारी पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं को देना है.

यह सिस्टम विशेष रूप से धीमी गति (लगभग 20 से 30 किमी/घंटा तक) पर काम करता है और वाहन के लिए कृत्रिम ध्वनि (Artificial Sound) उत्पन्न करता है. इलेक्ट्रिक वाहनों में इंजन की आवाज़ बहुत कम होती है, जिससे कई बार सड़क पर खतरा बढ़ सकता है.

AVAS की आवाज़ सुनाई देने योग्य होती है, लेकिन जोर से परेशान करने वाली नहीं, ताकि वाहन की उपस्थिति को पहचानना आसान हो और दुर्घटनाओं से बचा जा सके.

इस प्रकार, AVAS तकनीक सड़क सुरक्षा को बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के शांत संचालन के दौरान जोखिम कम करने में मदद करती है.

AVAS का काम और लाभ

AVAS डिवाइस वाहन की गति 20 किमी प्रति घंटे तक होने पर स्वतः सक्रिय हो जाएगा. यह विशेष रूप से इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए उपयोगी है, क्योंकि यह कृत्रिम ध्वनि उत्पन्न करके पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं को आस-पास के वाहन की चेतावनी देता है. यह तकनीक धीमी गति में वाहन के पास आने पर सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जब इंजन की आवाज़ बहुत कम होती है.

मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, उच्च गति पर AVAS की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि टायरों का घर्षण पर्याप्त आवाज़ उत्पन्न करता है और आसपास के सड़क उपयोगकर्ताओं को वाहन की मौजूदगी का एहसास कराता है.

इसके अलावा, मंत्रालय ने ट्यूबलेस टायर वाले वाहनों के लिए स्पेयर टायर की अनिवार्यता को हटाने का भी सुझाव दिया है, जिसमें कारें, तीन-पहिया वाहन और क्वाडसाइकिल शामिल हैं.

यह नया नियम न केवल सड़क सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के चलन को और सुरक्षित बनाने में मदद करेगा. सरकार की यह पहल देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को भी सुदृढ़ करेगी.

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सचिन सिंह 4 साल से मीडिया में अपनी सेवा दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग से लेकर न्यूज कंटेट राइटर के तौर पर काम किया है. वह टेक, ऑटो, एंटरटेनमेंट और इस्पोर्ट्स पर लिखने में रुची रखते हैं.

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