Jolly LLB 3 Review: किसानों की जंग से भरी कहानी, कोर्टरूम ड्रामा जो हंसी-आंसू और तंज का परफेक्ट कॉम्बो

Sachin Singh
Written by: Sachin Singh

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Jolly LLB 3 Review in Hindi: बॉलीवुड की चर्चित कोर्टरूम फ्रेंचाइजी जॉली एलएलबी का तीसरा पार्ट आखिरकार बड़े पर्दे पर आ गया है. इस बार निर्देशक सुभाष कपूर ने कहानी को और गहराई देते हुए देश के सबसे ज्वलंत मुद्दे किसानों की ज़मीन विवाद को केंद्र में रखा है.

फिल्म की शुरुआत ही दर्शकों को झकझोर देती है. किसान राजाराम जब ‘बिकानेर टू बोस्टन’ प्रोजेक्ट में अपनी ज़मीन गंवा बैठता है, तो लाचार होकर आत्महत्या कर लेता है.

उसकी पत्नी जानकी (सीमा बिस्वास) हार नहीं मानती और कोर्ट में लड़ाई का ऐलान करती है. यहीं से शुरू होती है जंग, एक तरफ छोटे शहरों के वकील अक्षय कुमार और अरशद वारसी और दूसरी तरफ हाई-प्रोफाइल वकील विक्रांत (राम कपूर).

कोर्टरूम में तकरार और कॉमेडी का तड़का

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका बैलेंस है. जहां एक तरफ जमीनी हकीकत और गंभीर मुद्दों को दिखाया गया है, वहीं दूसरी तरफ ह्यूमर और व्यंग्य से कहानी बोझिल नहीं होती. दूसरे हाफ का 28 मिनट का कोर्टरूम सीन दर्शकों को सीट से हिलने नहीं देता.

एक और मजेदार पल तब आता है जब जज त्रिपाठी (सौरभ शुक्ला) के सामने वेलेंटाइन डिनर जैसी कॉमिक सीक्वेंस चलती है, जिसमें गंभीर माहौल के बीच ठहाके गूंज उठते हैं.

अभिनय: असली जान यहां है

  • अक्षय कुमार और अरशद वारसी की जोड़ी फिल्म की आत्मा है. दोनों एक-दूसरे को स्क्रीन पर बेहतरीन टक्कर देते हैं.
  • सौरभ शुक्ला अपने जज वाले किरदार में फिर वही पुरानी गर्मजोशी और तंज लेकर आते हैं.
  • सीमा बिस्वास का रोल कम डायलॉग्स वाला है, लेकिन उनके चेहरे के भाव और खामोशी बहुत कुछ कह जाते हैं.
  • गजराज राव और राम कपूर निगेटिव किरदारों में भी दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ते हैं.

म्यूजिक और डायरेक्शन

पृष्ठभूमि संगीत (BGM) बड़ा ही सटल है। न कहीं ऊंचा, न कहीं शोरगुल वाला. यही वजह है कि कोर्टरूम ड्रामा की असलियत बरकरार रहती है. सुभाष कपूर का निर्देशन साफ दिखाता है कि वो व्यंग्य और गंभीरता को किस तरह साथ लेकर चलना जानते हैं.

कहां चूकी फिल्म

  • पहला हाफ थोड़ा लंबा खिंचता है, जिसे एडिटिंग में और टाइट किया जा सकता था.
  • अमृता राव और हुमा कुरैशी जैसी अभिनेत्रियों को स्क्रीन पर बहुत ही कम जगह मिली.
  • हल्की-फुल्की कॉमेडी अगर पहले हाफ में और बढ़ाई जाती, तो कहानी और ज़्यादा दमदार लगती.

क्या है फाइनल वर्डिक्ट?

  • रेटिंग: 3.5/5

जॉली एलएलबी 3 एक साथ हंसाती भी है, रुलाती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है. भले ही पहला हाफ ढीला लगे, लेकिन दूसरा हाफ आपको पूरी तरह जोड़े रखता है. असली मज़ा है अक्षय कुमार और अरशद वारसी की टक्कर में, और सौरभ शुक्ला के तंज भरे अंदाज़ में.

यह फिल्म नई ज़मीन तोड़ने वाली नहीं है, लेकिन फ्रेंचाइजी की असलियत और मज़ा बनाए रखती है. लंबे समय बाद अक्षय कुमार का ओजी अवतार देखने को मिलता है, और यही फिल्म की सबसे बड़ी जीत है.

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सचिन सिंह 4 साल से मीडिया में अपनी सेवा दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग से लेकर न्यूज कंटेट राइटर के तौर पर काम किया है. वह टेक, ऑटो, एंटरटेनमेंट और इस्पोर्ट्स पर लिखने में रुची रखते हैं.

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