World Cross Border Rail Network: भारत और भूटान के रिश्तों में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. केंद्र सरकार ने रविवार को दो ऐतिहासिक क्रॉस-बॉर्डर रेलवे प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया है, जिनसे भूटान पहली बार भारत की विशाल रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएगा. खास बात यह है कि भूटान के पास अभी तक अपनी खुद की कोई रेलवे लाइन नहीं है.
ऐसे में कई देश अपने पड़ोसी देशों के साथ रेलवे लाइन के जरिए जुड़े हुए हैं. इसमें चीन सबसे आगे हैं. रेल नेटवर्क से न केवल दोनों देशों के बीच आना-जाना सुविधाजनक हो जाता है, बल्कि व्यापार के नजरिए ये भी ये काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए यहां सबसे पहले विश्व के रेल नेटवर्क पर एक नजर डालते हैं.
एशिया और दुनिया की रेल कनेक्टिविटी
- चीन सबसे आगे है, जिसके छह पड़ोसी देशों – मंगोलिया, रूस, कजाखस्तान, उत्तर कोरिया, वियतनाम और लाओस – से रेल कनेक्शन हैं.
- यूरोप में जर्मनी सबसे ज्यादा 9 देशों से रेलमार्ग से जुड़ा है, जबकि फ्रांस 8 देशों से कनेक्टेड है.
- रूस के पास भी 10 देशों से रेलमार्ग हैं, लेकिन हाल के राजनीतिक तनावों के चलते कई सेवाएं बंद हो गई हैं. फिलहाल चीन, मंगोलिया और कजाखस्तान के लिए ही रेगुलर पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं.
भूटान की पहली रेल लाइनें
- ये दोनों रेल प्रोजेक्ट करीब दो दशक पहले योजना में शामिल किए गए थे, लेकिन अब इन्हें धरातल पर उतारा जा रहा है.
- कोकराझार (असम) से गैलेफू (भूटान) तक – 69 किलोमीटर लंबा यह प्रोजेक्ट करीब 3,456 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा और इसे चार साल में पूरा करने का लक्ष्य है.
- बनरहाट (पश्चिम बंगाल) से सामत्से (भूटान) तक – 20 किलोमीटर लंबी यह लाइन लगभग 577 करोड़ रुपये में बनेगी और तीन साल में तैयार होगी.
सामरिक महत्व भी खास
ये दोनों लाइनें सिर्फ व्यापार और यात्रियों की आवाजाही ही नहीं बढ़ाएंगी, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं. बनरहाट से करीब 70 किलोमीटर दूर और कोकराझार से करीब 220 किलोमीटर दूर है सिलीगुड़ी कॉरिडोर – जिसे भारत की चिकन नेक कहा जाता है और जो 2017 में डोकलाम विवाद के वक्त चर्चा में रहा था. चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए ये रेल प्रोजेक्ट भारत-भूटान की साझेदारी को और मजबूत बनाएंगे.
भारत के इंटरनेशनल रेलवे कनेक्शन
भारत के पास विशाल 70,000 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल सिर्फ कुछ पड़ोसी देशों से ही सीधा रेल कनेक्शन है:
- बांग्लादेश: मैत्री एक्सप्रेस (कोलकाता–ढाका), मित्रता/मिताली एक्सप्रेस (न्यू जलपाईगुड़ी–ढाका), और बंधन एक्सप्रेस (कोलकाता–खुलना) जैसी पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं. साथ ही मालगाड़ियां भी दोनों देशों के बीच दौड़ती हैं.
- नेपाल: बिहार के जयनगर से कुर्था (नेपाल) तक ब्रॉड-गेज लाइन बन चुकी है और इसे बर्दीबास तक बढ़ाने की योजना है.
- पाकिस्तान: पहले समझौता एक्सप्रेस और थार एक्सप्रेस चलती थीं, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद 2019 से ये सेवाएं बंद हैं.
- भूटान और म्यांमार: अब भूटान से रेल कनेक्शन की शुरुआत हो रही है, जबकि म्यांमार के मोरेह (मणिपुर) से कलाय तक प्रस्तावित रेललाइन पर भी चर्चा जारी है.
- चीन: हिमालयी भौगोलिक चुनौतियों और राजनीतिक कारणों की वजह से भारत-चीन रेल कनेक्शन नहीं है.
भूटान के लिए ये दोनों रेल प्रोजेक्ट्स न सिर्फ आर्थिक विकास का रास्ता खोलेंगे, बल्कि भारत-भूटान की दोस्ती को भी और मजबूती देंगे. ये प्रोजेक्ट्स पूर्वी हिमालय की कनेक्टिविटी और सामरिक सुरक्षा को नए आयाम देंगे.
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